पीलीभीत। बेसिक शिक्षा के स्कूलों में शिक्षकों का अधिकांश समय अब बच्चों को पढ़ाने के बजाय विभिन्न मोबाइल एप्स पर सूचनाएं दर्ज करने में जा रहा है। बच्चों के नामांकन से लेकर उनकी उपस्थिति, रिपोर्ट कार्ड, आधार लिंक, बैंक डिटेल्स तक – हर छोटी-बड़ी जानकारी 12 तरह के विभागीय एप्स पर अपलोड करनी होती है। इस प्रक्रिया में नेटवर्क की समस्याएं भी लगातार बाधा बनती हैं, जिससे शिक्षकों का कीमती समय बर्बाद होता है।
शिक्षकों का स्कूल समय मोबाइल में
शिक्षक सुबह से लेकर स्कूल के समय के दौरान लगातार मोबाइल या टैबलेट पर ऑनलाइन बने रहते हैं। बच्चों और अभिभावकों की जानकारी से लेकर दिव्यांग बच्चों की उपस्थिति और निपुण भारत जैसी योजनाओं की फीडिंग भी करना पड़ता है। विभागीय निर्देशों के अनुसार, समय पर सूचनाएं न भेजने पर वेतन रोकने जैसी कार्रवाइयों का भी खतरा रहता है, जिससे शिक्षकों में दबाव बढ़ता जा रहा है।
पुराने शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती
युवा शिक्षक जहां इस डिजिटल प्रक्रिया में सहज हैं, वहीं कई पुराने शिक्षकों के लिए ये एप्स चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है। उन्हें इन कार्यों के लिए अक्सर सहकर्मियों की मदद लेनी पड़ती है, जिससे वे खुद को असहज महसूस करते हैं।
शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
शिक्षक संघ का कहना है कि शिक्षकों से बार-बार ऑनलाइन सूचनाएं भरवाने का यह सिलसिला बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित कर रहा है। संघ का मानना है कि यह कार्य शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ है और इससे शिक्षण कार्य बाधित हो रहा है।
- लाल करन लाल, अध्यक्ष, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का कहना है, “स्कूल से जुड़ी सूचनाएं ऑनलाइन भरने में शिक्षकों का समय बर्बाद हो रहा है। शिक्षकों से केवल शिक्षण कार्य ही कराया जाए, जिससे विद्यार्थियों को लाभ हो।”
- अनीता तिवारी, जिला उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ महिला इकाई, ने कहा, “ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यों में समय अधिक लगने के कारण शिक्षण कार्य बाधित हो रहा है। काम को कम करने से शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होगा।”
कुल मिलाकर, शिक्षकों का मानना है कि लगातार डिजिटल कामों में उलझाने के बजाय उन्हें बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने दिया जाए, जिससे शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सके।