सागवान और घास की कहानी: गर्व और विनम्रता का सबक Teak tree and herb story pride vs humility
जानें, कैसे गर्वीला सागवान और विनम्र घास की कहानी हमें जीवन में नम्रता और लचीलेपन का महत्व सिखाती है।
एक घने जंगल में एक विशालकाय सागवान (teak) का पेड़ खड़ा था। उसकी ऊँचाई और मजबूती पर उसे बड़ा अभिमान था। उसके पास ही एक नन्हा सा घास का पौधा (herb) भी था, जो हर मौसम में झुककर समय का साथ देता था।
सागवान पेड़ अक्सर अपनी ताकत और सुंदरता की तारीफ करते हुए कहता,
“मैं इतना ताकतवर और आकर्षक हूँ कि मुझे कोई भी गिरा नहीं सकता।”
घास ने नम्रता से जवाब दिया,
“मित्र, बहुत अधिक अभिमान नुकसानदायक होता है। एक दिन सबसे ताकतवर भी गिर सकता है।”
परंतु, सागवान ने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया। वह अपनी ताकत पर गर्व करता रहा और घास की कोमलता का मजाक उड़ाता रहा।
चुनौती का समय
कुछ दिन बाद, जंगल में एक तेज़ आंधी आई। सागवान ने अपनी जड़ों को जमाकर खड़े रहने की कोशिश की। उसकी मजबूत टहनियाँ और बड़े-बड़े पत्ते उसे सीधा रखने के लिए संघर्ष कर रहे थे। वहीं, घास ने अपनी कोमलता से काम लिया और हवा के साथ झुक गया।
आंधी और तेज़ हुई, तूफान ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। सागवान का घमंड भी उसके साथ डगमगाने लगा। आखिरकार, सागवान की जड़ें उखड़ गईं, और वह ज़मीन पर गिर पड़ा।
विनम्रता की जीत
तूफान के शांत होने के बाद, घास धीरे-धीरे सीधा खड़ा हो गया। उसने चारों ओर देखा और पाया कि उसका गर्वीला पड़ोसी सागवान धराशायी हो चुका था।
नैतिक शिक्षा
अहंकार और कठोरता कितनी भी मजबूत क्यों न लगें, विनम्रता और लचीलापन हमेशा जीतते हैं।
सीख: गर्व पतन का कारण बनता है।