क्रिस्टल बॉल: संतोष की सीख The Crystal Ball: A Story of Contentment

एक गड़रिया लड़का, जादुई क्रिस्टल बॉल के साथ, हरियाली और सादगी से भरे गाँव में।नसीर और उसके गाँव की कहानी, जो सादगी और संतोष के महत्व को सिखाती है।

क्रिस्टल बॉल: संतोष की सीख The Crystal Ball: A Story of Contentment

पढ़ें नसीर और जादुई क्रिस्टल बॉल की कहानी, जो सिखाती है कि लालच से दुख और संतोष से सुख मिलता है। Read the inspiring tale of Nasir and the magical crystal ball, emphasizing the importance of contentment and joy in simplicity.

स्पेन के दक्षिणी हिस्से में एक छोटा सा गाँव था, जहाँ लोग बेहद खुशहाल थे। बच्चे अपने घरों के बगीचों में पेड़ों की छाया में खेलते थे।

गाँव के पास एक गड़रिया लड़का नसीर अपने माता-पिता और दादी के साथ रहता था। हर सुबह नसीर अपनी बकरियों के झुंड को चराने के लिए पहाड़ियों पर ले जाता और दोपहर में वापस गाँव लौट आता। रात में, उसकी दादी उसे तारों की कहानियाँ सुनाती थीं, जो नसीर को बहुत पसंद थीं।


जादुई खोज

एक दिन, जब नसीर पहाड़ियों पर बकरियों को चरा रहा था और अपनी बाँसुरी बजा रहा था, उसने एक फूलों की झाड़ी के पीछे से चमकदार रोशनी देखी। जिज्ञासावश, वह पास गया और उसने देखा कि वहाँ एक चमकती हुई पारदर्शी क्रिस्टल बॉल थी, जो इंद्रधनुष की तरह चमक रही थी।

जब नसीर ने उसे हाथ में उठाया, तो उसमें से एक धीमी आवाज आई:
“जो भी इच्छा करोगे, मैं उसे पूरा कर दूँगी।”

नसीर को अपनी कानों पर विश्वास नहीं हुआ। वह सोच में पड़ गया, “मेरे पास तो सब कुछ है। शायद कल मुझे कुछ याद आए, तब मैं अपनी इच्छा माँगूंगा।”

उसने क्रिस्टल बॉल को एक थैले में रखा और खुशी-खुशी गाँव लौट आया। उसने तय किया कि वह इस बॉल के बारे में किसी को नहीं बताएगा।


गाँव वालों को पता चला

कई दिन बीत गए, लेकिन नसीर अपनी कोई इच्छा तय नहीं कर पाया। इस दौरान, उसका खुशमिजाज स्वभाव गाँव वालों को चकित कर रहा था। एक दिन, एक लड़के ने नसीर का पीछा किया और उसे क्रिस्टल बॉल निकालते हुए देखा। जब नसीर सो गया, तो लड़के ने वह बॉल चुरा ली और गाँव में ले गया।

गाँव के लोग इकट्ठा हुए और क्रिस्टल बॉल को घुमाते हुए उसकी चमक से हैरान हुए। तभी बॉल से आवाज आई:
“मैं तुम्हारी इच्छाएँ पूरी कर सकती हूँ।”

फिर क्या था! लोग अपनी-अपनी इच्छाएँ करने लगे:

  • किसी ने एक थैला सोने से भरने की माँग की।
  • किसी ने गहनों से भरा हुआ संदूक माँगा।
  • किसी ने सोने के दरवाजे वाले महल की माँग की।

बॉल ने सबकी इच्छाएँ पूरी कर दीं, और देखते ही देखते गाँव महलों, गहनों और सोने से भर गया।


दुख का नया रूप

लेकिन यह नया धन और वैभव ईर्ष्या और असंतोष लेकर आया। जिस व्यक्ति के पास महल था, उसे सोने वाले से जलन होने लगी। और जिसके पास सोना था, वह महल वाले से। गाँव की खुशहाल ज़िंदगी बर्बाद हो गई। हरे-भरे बगीचे गायब हो गए, और उनकी जगह ठंडे, बेजान महल खड़े हो गए।

केवल नसीर और उसका परिवार ही संतुष्ट और खुश थे।


संतोष की ओर वापसी

एक दिन, गाँव के बच्चे और उनके माता-पिता नसीर के पास पहुँचे। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा:
“हम अपने छोटे और सादगी भरे गाँव में अधिक खुश थे। अब इस वैभव ने हमें दुखी कर दिया है।”

नसीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
“क्रिस्टल बॉल ने मुझसे भी इच्छा करने को कहा था, लेकिन मैंने कभी कुछ माँगा नहीं। यदि आप सब चाहते हैं कि हमारा गाँव फिर से वैसा ही बन जाए, तो मैं यह इच्छा कर सकता हूँ।”

गाँव वालों ने खुशी-खुशी सहमति जताई। नसीर ने क्रिस्टल बॉल उठाई, उसे घुमाया, और इच्छा की कि गाँव अपनी पुरानी स्थिति में लौट आए।

क्षणभर में, महल गायब हो गए, और हरियाली और पेड़ों से भरा वही पुराना गाँव वापस आ गया। लोग फिर से खुशहाल हो गए, और बच्चे पेड़ों की छाया में खेलने लगे।


सीख

“सच्चा सुख संतोष में है, न कि लालच में।”

नसीर अपनी सादा और खुशहाल ज़िंदगी जीता रहा, हर शाम बाँसुरी बजाते हुए, जिसकी मधुर धुन पूरे गाँव में गूँजती थी।


The Crystal Ball: A Story of Contentment

In the southern region of Spain, there was a small, cheerful village. Its people were content, and children spent their days playing under the shade of lush trees in the gardens of their homes.

Nearby, a shepherd boy named Nasir lived with his family—his father, mother, and grandmother. Every morning, Nasir would lead his herd of goats to the hills for grazing, returning to the village by afternoon. At night, his grandmother shared captivating stories with him, especially tales about the stars, which Nasir loved deeply.

A Magical Discovery

One day, while Nasir tended to his goats and played his flute in the hills, he noticed a brilliant light coming from behind a flower bush. Curious, he approached and found a radiant, transparent crystal ball shimmering like a rainbow. As he picked it up, a gentle voice emerged from the ball:
“Make a wish, and I shall grant it.”

Astounded, Nasir was unsure of what to wish for. He thought, “I already have everything I need. Perhaps tomorrow I’ll think of something.” He carefully placed the crystal ball in his bag and returned to the village, deciding to keep it a secret.

The Village Discovers the Ball

Days went by, but Nasir still couldn’t decide on a wish. Meanwhile, his cheerful demeanor puzzled the villagers. One day, a curious boy secretly followed Nasir, watching as he took out the crystal ball. Once Nasir fell asleep, the boy stole the ball and ran to the village.

Excited by the crystal ball’s magic, the villagers gathered around. Each person began making selfish wishes:

  • One asked for bags of gold.
  • Another wished for chests of jewelry.
  • Someone demanded a grand palace with golden doors.

The crystal ball fulfilled all their desires, and soon the village transformed into a place filled with palaces, jewels, and gold.

Discontent Grows

However, the newfound wealth brought jealousy and unhappiness. Those with gold envied those with palaces, and vice versa. The once-happy village turned into a place of resentment and isolation. The lush gardens disappeared, replaced by cold, lifeless structures. Only Nasir and his family remained content, untouched by greed.

A Return to Happiness

One day, the children of the village, along with their parents, approached Nasir with the crystal ball. They admitted their regret:
“We were happier when our village was small and simple. Now, none of us are truly joyful.”

Moved by their sincerity, Nasir replied,
“The crystal ball offered me a wish, but I never used it. If you all want the village to return to its original state, I will make the wish.”

The villagers eagerly agreed. Nasir held the crystal ball, turned it, and wished for the village to be restored.

In an instant, the palaces vanished, and the green gardens and humble homes returned. The village once again became a place of laughter and joy.

A Lesson in Contentment

The villagers learned an important lesson:
“True happiness lies in being content with what we have and not succumbing to greed.”

As for Nasir, he continued his peaceful life, playing his flute at sunset, its sweet melody echoing through the now-restored village.


By SARIKA

My name is SARIKA. I have completed B.Ed and D.El.Ed. I am passionate about teaching and writing. Driven by this interest, I am associated with the Basic Shiksha Portal. My goal is to contribute to the field of education and provide helpful resources for children's development.

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