कविता: चिड़िया का गीत
यह कविता एक छोटे पक्षी के जीवन के विकास को दर्शाती है। पहले, वह अपने घर को अंडे जैसा छोटा और सीमित समझता है। फिर वह सूखे तिनकों से बना एक घोंसला बनाता है, और उसे लगता है कि यही उसका संसार है। जैसे-जैसे वह शाखाओं पर उड़ने लगता है और हरी-भरी पत्तियों के बीच खेलता है, वह अपने छोटे से संसार से बाहर की दुनिया को देखता है। आखिरकार, जब वह आकाश में उड़ता है और दुनिया के विशालता को महसूस करता है, तब उसे समझ में आता है कि संसार बहुत बड़ा है, और उसकी सीमाएं कहीं अधिक हैं।
यह कविता बदलाव, विकास और एक नए दृष्टिकोण की भावना को व्यक्त करती है।
सबसे पहले मेरे घर का
अंडे जैसा था आकार
तब मैं यही समझती थी
बस इतना सा ही है संसार
फिर मेरा घर बना घोंसला
सूखे तिनकों से तैयार
तब मैं यही समझती थी
बस इतना सा ही है संसार
फिर मैं निकल गई शाखों पर
हरी भरी थीं जो सुकुमार
तब मैं यही समझती थी
बस इतना सा ही है संसार
आखिर जब मैं आसमान में
उड़ी दूर तक पंख पसार
तभी समझ में मेरी आया
बहुत बड़ा है यह संसार