मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश में 63 हजार निजी स्कूलों में 6 लाख सीटों पर गरीब बच्चों को शिक्षा का मौका मिलेगा।
- शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 1 दिसंबर से दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी।
- इस साल, स्कूलों और सीटों की संख्या पिछले साल से अधिक बढ़ी है।
- आवेदन प्रक्रिया 4 चरणों में मार्च तक पूरी होगी, और हेल्प डेस्क भी उपलब्ध होगी।
- लखनऊ, आगरा, गोरखपुर जैसे शहरों में सर्वाधिक सीटें उपलब्ध हैं।
विस्तार से
उत्तर प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को अब बेहतर निजी स्कूलों में पढ़ने का मौका मिलेगा। इस बार आरटीई के तहत कुल 6 लाख सीटों पर बच्चों का दाखिला होगा। ये दाखिले 63 हजार से अधिक निजी स्कूलों में होंगे, जिनमें से 62,871 स्कूलों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। पिछली बार की तुलना में इस बार स्कूलों और सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों का पुराना बकाया भुगतान करने के बाद, इन स्कूलों ने इस पहल में रुचि दिखाई है। परिणामस्वरूप, इस वर्ष 62871 निजी स्कूलों को आरटीई के तहत पंजीकरण किया गया है, और कक्षा 1 और प्री प्राइमरी में कुल 6 लाख सीटों पर दाखिला दिया जाएगा।
आवेदन प्रक्रिया
इस बार, आरटीई के तहत आवेदन प्रक्रिया 1 दिसंबर से शुरू हो रही है और मार्च तक चार चरणों में पूरी होगी। इसके लिए राज्य भर में ब्लॉक स्तर पर शिक्षा विभाग के कार्यालयों में हेल्प डेस्क भी बनाई जाएगी, ताकि अभिभावक अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें। इसके माध्यम से, अभिभावक आवेदन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर नि:शुल्क मदद ले सकेंगे।
सर्वाधिक सीटें लखनऊ और आगरा में
कक्षा 1 में आगरा में 12,608 सीटें, जौनपुर में 12,295 सीटें, और आजमगढ़ में 11,795 सीटें निर्धारित की गई हैं। वहीं, प्री प्राइमरी में लखनऊ में सर्वाधिक 23,889 सीटें हैं, इसके बाद गोरखपुर में 9,853 सीटें और गाजियाबाद में 8,333 सीटें उपलब्ध हैं।
लक्ष्य और उम्मीदें
इस बार, विभाग ने पांच गुना अधिक आवेदन प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है। पिछले साल लगभग 3.57 लाख आवेदन आए थे, लेकिन इस बार आवेदन की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है। इसके माध्यम से, विभाग का उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ पहुंचाना है।
यह पहल न केवल बच्चों के लिए शिक्षा का नया अवसर खोलेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में समानता और समृद्धि की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाएगी।
UP to Admit Poor Children in Private Schools, 6 Lakh Seats Under RTE
Key Highlights
- In Uttar Pradesh, 6 lakh seats will be offered to poor children in 63,000 private schools under the Right to Education (RTE) Act.
- The admission process will begin on December 1 under the RTE Act.
- This year, the number of schools and seats has increased compared to last year.
- The application process will be completed in four phases by March, and help desks will be available for assistance.
- The highest number of seats are available in cities like Lucknow, Agra, and Gorakhpur.
Details
In Uttar Pradesh, economically disadvantaged children will now have the opportunity to attend better private schools under the Right to Education (RTE) Act. This year, 6 lakh seats will be available for admission in over 63,000 private schools. Of these, 62,871 schools have already registered under RTE. The number of schools and seats has increased compared to last year.
After clearing pending dues to private schools, the Basic Education Department has seen increased participation from these schools in the RTE initiative. As a result, a total of 62,871 private schools are now registered, and 6 lakh seats in Class 1 and Pre-Primary will be offered for admission.
Admission Process
This year, the RTE admission process will begin on December 1 and will be completed in four phases by March. To assist parents, help desks will be set up at block-level education offices across the state. Parents who face any difficulties in applying can get free assistance at these desks.
Maximum Seats in Lucknow and Agra
In Class 1, Agra will have 12,608 seats, Jaunpur will have 12,295, and Azamgarh will have 11,795 seats. In Pre-Primary, Lucknow will have the highest number of seats at 23,889, followed by Gorakhpur with 9,853 seats and Ghaziabad with 8,333 seats.
Goals and Expectations
This year, the department aims to receive five times more applications than last year. While around 3.57 lakh applications were received last year, a significant increase in the number of applications is expected this year. The goal is to ensure that as many children as possible benefit from this initiative.
This move will not only provide a new opportunity for children but also mark a step forward in achieving equality and prosperity in the education sector across Uttar Pradesh.
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