उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में टल गई। सुनवाई आज, 12 नवंबर को होनी थी, लेकिन कोर्ट में निर्धारित संख्या में मामले आने के कारण यह सुनवाई संभव नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल थे, इस मामले की सुनवाई करने वाली थी, लेकिन कोर्ट का समय खत्म होने के कारण पक्षकारों को वापस लौटना पड़ा। सभी अभ्यर्थियों को अब अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार करना पड़ेगा, जो जल्द ही कोर्ट द्वारा जारी की जाएगी।
इस मामले में पहले भी कई बार सुनवाई की तारीखें निर्धारित की जा चुकी हैं। पहले 9 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित हुई, लेकिन तब भी सुनवाई नहीं हो पाई। अगली सुनवाई की तारीख 15 अक्टूबर रखी गई थी, जो कि आज 12 नवंबर तक खिसक गई थी। परंतु इस बार भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।
मामला क्या है?
यह मामला आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के हितों से जुड़ा हुआ है। दरअसल, लखनऊ हाई कोर्ट ने 13 अगस्त 2024 को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद कुछ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में राज्य सरकार और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार हाई कोर्ट के फैसले को उचित मान रहे हैं और इसे जल्द लागू करवाने की मांग कर रहे हैं।
आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधि अमरेंद्र पटेल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत 2018 में हुई थी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं हुआ, और वे काफी समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पटेल को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में फैसला आएगा और उन्हें जल्द न्याय मिलेगा।
अब सभी अभ्यर्थी और संबंधित पक्ष सुप्रीम कोर्ट से अगली तारीख की प्रतीक्षा में हैं।